Friday, April 10, 2009

महिलाएं उदासीनता तोड़ें, लोकतंत्र संवरेगा


गोरखपुर में 
दैनिक जागरण के जन जागरण अभियान में आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि महिलाएं जागरूक हों। अधिकार के साथ ही क‌र्त्तव्यबोध को समझें। उदासीनता तोड़े, संकोच छोड़ें और भयमुक्त हो समाज की मुख्य धारा में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। यह सही है कि भ्रष्टाचार और अपराध से भयाक्रांत महिलाएं सक्रिय राजनीति से परहेज करती हैं लेकिन यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है। समूचा देश में वर्तमान राजनीतिकी व्यवस्था, जनप्रतिनिधियों के क्रियाकलाप और लोकतंत्र की बदनामी पर चिंता प्रकट कर रहा है। समय आ गया है, महिलाओं आगे बढ़कर शतप्रतिशत मतदान करें और लोकतंत्र की बेहतरी में अपना योगदान दें। बुधवार को आयोजित लोकतंत्र में महिलाओं की भूमिका विषयक संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि महिलाओं की अधिकतम भागीदारी के बिना लोकतंत्र अधूरा है। गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेस क्लब के सभागार में बतौर मुख्य अतिथि शहर की मेयर श्रीमती अंजु चौधरी ने कहा कि हमारा जनप्रतिनिधि ऐसा होना चाहिए जो राइट एज एंड राइट स्टेज वाला हो। वह आत्मविश्वास से लबरेज हो। उसके सोचने समझने का तरीका व्यवहारिक हो। लोकतंत्र के बेहतरी के लिए जरूरी है कि जनप्रतिनिधि दागी और अपराधी न हो। अध्यक्षता करते हुए गोरखपुर विश्र्वविद्यालय की प्रोफेसर विपुला दूबे ने कहा कि आज भी लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी का प्रतिशत बहुत कम है। महिलाओं को यह समझना होगा कि एक वोट कितना मजबूत है जो लोकतंत्र की दशा और दिशा बदल सकता है। लोकतंत्र की मजबूती के लिए यह आवश्यक है कि महिलाएं अपने मताधिकार का प्रयोग सही प्रत्याशी के चुनाव के लिए करें। विश्र्वविद्यालय की उपाचार्य डा. विनीता पाठक ने महिलाओं के आरक्षण मुद्दे पर बहस छेड़ी। उन्होंने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि महिलाओं को संसद में तैंतीस प्रतिशत आरक्षण मिले, जिससे वे लोकतंत्र की मुख्य धारा से अपने को जोड़ें और पार्टियां मजबूर होकर महिलाओं को टिकट दें। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र व्यक्ति पर आधारित है इसमें पुरूष व महिलाओं की बराबर की भागीदारी होनी चाहिए। जाति, धर्म, संप्रदाय से ऊपर उठकर महिलाओं को मतदान करना चाहिए। उत्तर प्रदेश अपराध निरोधक शाखा की जोनल सचिव डा. सत्या पांडेय ने कहा कि आखिर क्यों पार्टियां किसी महिला को जनप्रतिनिधित्व का मौका नहीं देतीं? ऐसा हो तो लोकतंत्र में उनकी स्थिति अपने आप मजबूत हो जाएगी। डा. उमा सराफ ने भी महिलाओं की उपेक्षा के लिए दलों को कोसा और महिलाओं के लिए कहा कि जितना वे अपने अधिकार के प्रति सजग हैं, दायित्व के प्रति भी सतर्क हों। जागरूकता से ही परिवर्तन संभव है। गोरखपुर महिला उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमण्डल की जिलाध्यक्ष श्रीमती नीलम वासनीवाल ने कहा कि प्रत्याशी ऐसा होना चाहिए जो जनता का दुख दर्द समझे सके। जनता से सीधा संवाद स्थापित कर सके। यही नहीं महिलाएं अपनी सोच बदलें और कोई पद पाने के उपरान्त पुरुष रूपी रिमोट से संचालित न हों। अग्रवाल महिला समिति की संस्थापक अध्यक्ष श्रीमती विमला दास ने कहा कि स्वयं जागरूक होने के साथ ही पास-पड़ोस की महिलाओं को भी जागरूक कर वोट देने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इनर व्हील की अध्यक्ष चेरी सेठ ने किरण बेदी का उदाहरण देते हुए लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी पर जोर दिया। महिलाओं ने खुलकर दैनिक जागरण के इस मंच की सराहना की। गोष्ठी में महिला सर्वोदय मण्डल की प्रमुख एवं प्रख्यात रेकी विशेषज्ञ डा. मिंटी सिंह, श्रीमती राना सिंह, इनर ह्वील क्लब की पूर्व अध्यक्षा हनी श्रीवास्तव, अनीता जालान, करूणा मातनहेलिया, सचिव निकिता कानोडिया, शारदा अग्रवाल, अग्रवाल महिला समिति की अध्यक्ष अनीता श्रीवास्तव, संस्थापक सचिव मंजुल अग्रवाल, सुनीता गुप्ता, अमिता अग्रवाल, सुमन श्रीवास्तव, राधा सिंह, सावित्री दास, मधुलिका सिंह, दीपाली अग्रवाल, नयती मातनहेलिया आदि महिलाओं ने युवा पीढ़ी को जनप्रतिनिधि बनाने, भ्रष्ट नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाने, प्रत्याशियों की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता निर्धारित करने, मतदान में महिलाओं की अधिक से अधिक संख्या सुनिश्चित करने, उदासीन जनता को जागरूक करने और विकास के आधार पर अपना जनप्रतिनिधि चुनने पर बल दिया। किसी निजी कारण से कार्यक्रम में न पहुंच सकी प्रो. आदेश अग्रवाल ने दूरभाष पर पुरुष और महिलाओं को शालीन बनने पर जोर दिया और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने पर बल दिया। कार्यक्रम का संचालन विजय कुमार उपाध्याय और प्रेमशंकर मिश्र ने किया। प्रस्तुति- दीपा श्रीवास्त